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हलवनदरन, अखन तमारे के जे गल्पोरो सुनाबो, से ता होलो एक ता नौन-नौमरे पेम हो जाला
और नौन-नौमरे पेम होर पर जब पदम दागा करता आश्छी, पार्कर मुझे आश्छी जोन लोग आमाके इच्छा मतन लागाओ
शेला गाले दी गल्पोरी आश्की तो बादे के सुनाबो, तो भी डूता नागे दी पुरो डेटे तो थापो
एक दिन घटक करो नौन-नौमरे तेक एक फोडा शुलो, कें?
पर आश्छा आस्था आमाके एक डैक्स फोन टा रिशिक करा पर बोलता से, जान, उरुखी, तुम्हें आमाके छेक देवो ना, तुम्हें आमाके एक बाद छेक देवो ना, अन्हों जना परे छोले जाओ ना, अम तबके छारे बाद बोना, एरा कुन बिवनो तरहने